नई दिल्लीकांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि दूसरा विकल्प यह है कि सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध किया जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री यह भी बोले कि को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं। चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार को या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की जेपीसी के जरिये जांच करानी चाहिए या सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि कोई इस हद तक कह सकता है कि 2019 के पूरे चुनावी जनादेश को ‘गैरकानूनी जासूसी’ से प्रभावित किया गया। लेकिन, उन्होंने कहा कि इससे भाजपा को जीत हासिल करने में ‘मदद’ मिली हो, यह सकता है। इसे लेकर आरोप लगे थे। चिदंबरम ने कहा कि जेपीसी की जांच सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति की जांच से ज्यादा प्रभावी हो सकती है। उन्होंने बताया कि जेपीसी को संसद की ओर से अधिक अधिकार मिलता है। संसद की सूचना प्रौद्योगिकी समिति के प्रमुख शशि थरूर की इस टिप्पणी कि यह विषय ‘मेरी समिति के अधीन है’ और जेपीसी की आवश्यकता नहीं है, के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने संदेह जताया। कहा, क्या भाजपा के बहुमत वाली आईटी समिति मामले की पूरी जांच होने देगी। उन्होंने कहा, ‘संसदीय समिति के नियम सख्त हैं। उदाहरण के लिए वे खुले तौर पर सबूत नहीं ले सकते हैं, लेकिन एक जेपीसी को संसद से सार्वजनिक रूप से साक्ष्य लेने, गवाहों से पूछताछ करने और दस्तावेजों को तलब करने का अधिकार दिया जा सकता है। लिहाजा, मुझे लगता है कि जेपीसी के पास संसदीय समिति की तुलना में कहीं अधिक शक्तियां होंगी।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच की हद को लेकर संसदीय समिति की भूमिका को कमतर नहीं बता रहे हैं। पिछले रविवार को एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने दावा किया था कि भारत में पेगासस स्पाईवेयर के जरिये 300 से ज्यादा मोबाइल नंबरों की निगरानी की गई। इसमें दो मंत्री, 40 से अधिक पत्रकार, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे। सरकार इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है। चिदंबरम ने कहा कि सरकार या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच जेपीसी से कराए या सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करे। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी को इस मामले को संसद में साफ करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं।
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