नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट विभिन्न धर्मों में और केरल के सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के बारे में चर्चा के लिए सोमवार को मुद्दे तय करेगा। नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना और गैर पारसी पुरूषों से शादी कर चुकी पारसी महिलाओं के पवित्र अग्नि स्थल में प्रवेश पर रोक से संबंधित मुद्दों पर विचार करेगी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े के अलावा, पीठ में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एम एम शंतनगौदार, जस्टिस एस ए नजीर , जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्याकांत शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को चार वरिष्ठ वकीलों से कहा था कि वे इस विषय में चर्चा किए जाने वाले मुद्दों पर फैसले के लिए एक बैठक आयोजित करें। पढ़ें: कोर्ट ने तय किए हैं सात सवाल पिछले साल 14 नवंबर को वृहद पीठ के पास इस मामले को भेजते हुए पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि उपासना स्थल पर महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर पाबंदी जैसे धार्मिक रीति रिवाजों की संवैधानिक वैधता पर बहस सिर्फ सबरीमला तक सीमित नहीं है। पीठ ने कहा था कि ऐसी पाबंदियां मस्जिदों और दरगाहों में महिलाओं के प्रवेश, गैर पारसियों से शादी करने वाली पारसी महिलाओं के पवित्र अग्नि स्थल में प्रवेश को लेकर भी हैं। कोर्ट ने वृहद पीठ द्वारा पड़ताल के लिए कानून के सात प्रश्न तय किए। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर,2018 को केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दी थी।
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